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भ्रष्टाचार देश के विकास में सबसे बड़ी बाधा बनी हुई है. सिर्फ जन लोकपाल बिल से इस भ्रष्टाचार रुपी जहर को जड़ मूल से उखाड़ फेकना असंभव है. भ्रष्टाचार रोकने के कई नियम तो पहले से भी बने हुए हैं परन्तु आज तक भ्रष्टाचार खत्म नहीं हो पाया है. जब तक कड़ी निगरानी नहीं होगी और कड़ाई से नियम का पालन नहीं होगा तब तक भ्रष्टाचार को मिटाना असंभव है. इसके लिए देश के सभी तंत्रों के साथ-साथ आमजनों को भी खुलकर आगे आना ही होगा. आमजनों के सकारात्मक सहयोग के बिना इस भ्रष्टाचार रुपी बीमारी का इलाज नहीं हो सकता है. यदि देशवासी दृढनिश्चय कर ले तो भ्रष्टाचार को समाप्त होना ही होगा. दृढइच्छा शक्ति, ईमानदार प्रयास और सकारात्मक सोच के बल पर कोई ऐसा समस्या नहीं जिसका समाधान न हो सके. तो आइये अन्ना हजारे के भ्रष्टाचार विरोधी मुहिम में शामिल होकर हम समस्त देशवासी उनके इस आन्दोलन को और धारदार बनावे. यह हम समस्त देशवासियों का भी परम कर्त्तव्य है.
राष्ट्र कवि दिनकर जी की ये पंक्तियाँ बिल्कुल सही है-
“विपत्ति जब आती है,
कायर को ही दहलाती है,
सूरमा नहीं विचलित होते,
क्षण एक नहीं धीरज खोते,
विघ्नों को गले लगाते हैं,
काँटों में राह बनाते हैं.”
सरोज चौधरी
बिरौल, दरभंगा
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