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हमारा देश और आम लोग

Saroj Chaudhary
Saroj Chaudhary
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सरकार चाहे लाख दावा कर ले परन्तु आज भी नही मिटा है आम और खास लोगों में फर्क. इस आम और खास में हो रहे फर्क का वर्णन हम कहाँ से शुरू करे समझ में नहीं आता है क्योंकि हम अपने चारों तरफ जिधर नजर दौड़ाते हैं उधर ही देखने को मिल जाता है आम और खास में हो रहा फर्क. जरा सोचिये अगर आपको खूब जोर से भूख लगी हो और आपके पास रूपया, पैसा, हीरा, जवाहरात तो खूब हो परन्तु खाने का सामान न हो तो आपका क्या हाल होगा? हमारा देश कृषि प्रधान देश है. यहाँ की 80% आबादी गाँव में रहती है और कृषि पर आधारित है. किसान हमारे अन्नदाता हैं यदि किसान खेती करना छोड़ दे तो हमलोग भूखे मर जाएंगे परन्तु वही आम किसान यदि किसी सरकारी कार्यालय में जाते हैं तो पदाधिकारी उनसे ठीक से बात करना भी मुनासिब नहीं समझते हैं जबकि कोई खास पहुँच जाए तो उनकी खूब खातिरदारी होती है. यदि कोई भी कंपनी सामान बनावे और उसे आम आदमी नहीं ख़रीदे तो क्या होगा उस कंपनी या कारखाने का हश्र? यदि सिनेमा बने और आम दर्शक सिनेमा नहीं देखे तो क्या होगा हमारे बॉलीवुड का हश्र? हमारे देश के जेलों में भी होता है आम और खास कैदियों में फर्क. यदि हम ये कहे कि सभी जगहों पर होता है आम और खास आदमी में फर्क तो शायद अतिशयोक्ति नहीं होगी. सार्वजनिक मंचों से आम आदमी की बातें तो सभी लोग करते हैं लेकिन जब सचमुच में आम लोगों के लिए कुछ करने की बात होती है तो सभी लोग अपना पैर पीछे खींच लेते हैं आखिर क्यों? हमें यह कभी नहीं भूलना चाहिए की हम आमलोगों पर ही निर्भर करते हैं. इसीलिए हमें आम लोगों को भी गंभीरता से लेनी चाहिए. कोई युवराज भले ही नौटंकी ही क्यों न करता हो, उसे सभी लोग गंभीरता से लेते हैं लेकिन वहीँ यदि कोई आम युवा अपने समाज या देश के लिए वास्तव में कुछ करना चाहता हो तो उसे गंभीरता से नहीं लिया जाता है आखिर क्यों? ऐसी परिस्थिति में हमारे देश के इलेक्ट्रोनिक एवं प्रिंट मिडिया संस्थानों और पत्रकार बंधुओं की जबाबदेही थोड़ी सी बढ़ जाती है. ग्रामीण क्षेत्रों में अक्सर ऐसा देखने को मिल जाता है कि हमारे कुछ पत्रकार बन्धु भी पदाधिकारियों एवं खास लोगों के ईर्द-गिर्द ही घुमते रहते हैं जबकि उन्हें गाँव में जाकर आमलोगों के समस्या को खोजकर अपने अखबार या टी.वी. में खबर बनाना चाहिए. इससे आमलोगों को तो थोड़ी सी राहत मिलेगी ही साथ ही हमारे देश के मिडिया संस्थानों पर भी आम लोगों का विश्वास और बढ़ जाएगा. यह व्यापक जनहित में होगा.

सरोज चौधरी
बिरौल, दरभंगा.

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