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“राइट टू रिकॉल” के लागू होने से देश में बार-बार चुनाव कराने होंगे यह तर्क देकर आमजनों को इस अधिकार से वंचित करना जायज नही है. भारत को दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र कहा जाता है. हमारे देश की लोकतान्त्रिक प्रक्रिया और मजबूत हो इसके लिए प्रयास करना हम समस्त भारतवासियों का परम कर्तव्य है. वर्त्तमान में नेता चुनाव जीतने के बाद पांच साल के लिए निश्चिन्त हो जाते हैं. वे सोचते हैं की अब पांच साल तक मेरा कोई कुछ नही बिगाड़ सकता है. नेता जनता के प्रति जवाबदेह नही रह पाते हैं. ऐसे में राइट टू रिकॉल जनता और नेता के बीच सेतु का काम करेगा और दोनों के बीच की दूरी को कम करेगा. नेताओं की जवाबदेही जनता के प्रति बढ़ेगी जिससे लोकतंत्र मजबूत होगा. मेरे विचार से तो राइट टू रिकॉल के दायरे में पदाधिकारियों को भी लाना चाहिए. जिस पदाधिकारी के क्षेत्र के अधिकतर जनता यह लिखकर दे दे की यह पदाधिकारी अच्छा काम नही करते हैं तो उन्हें वहां से वापस बुला लेना चाहिए. राइट टू रिकॉल समय की मांग है.
सरोज चौधरी
बिरौल, दरभंगा
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