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हम, हमारा समाज और राजनीति

Saroj Chaudhary
Saroj Chaudhary
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कौन कहता है आसमान में सुराख नहीं हो सकता,
जरा तबियत से एक पत्थर तो उछालो यारो.

हमें अपने बारे में जरूर सोचना चाहिए परन्तु दूसरों के बारे में भी गंभीरता पूर्वक विचार करना चाहिए ताकि हम बेहतर समाज बना सके और अपनी मातृभूमि के विकास में सकारात्मक योगदान दे सके. हमें कुछ ऐसा करना चाहिए कि दुसरे हमसे प्रेरित हों. यह दुनिया हमारी है इसे हम सबको ही बेहतर बनाना है.
हम जानते हैं कि पढाई पूरी करने के बाद बेहतरीन करियर बनाना और अधिक से अधिक धन कमाना वर्त्तमान समय में हर युवाओं का सपना होता है लेकिन यहाँ हम एक बात अपनी ओर से आपको बताना चाहते हैं. डिग्री का मतलब सिर्फ सर्टिफिकेट हासिल कर करियर बनाना और अधिक से अधिक धन कमाना नहीं होना चाहिए. डिग्री मिलने के साथ ही हमारी जिम्मेदारी भी बढ़ जाती है. आपने कठोर परिश्रम कर जो ज्ञान हासिल किया है, अब उसके इस्तेमाल करने का समय आ गया है. इस ज्ञान का उपयोग आपको समाज की भलाई तथा बेहतरी के लिए भी करना चाहिए. आज देश और दुनिया महंगाई, गरीबी, भ्रष्टाचार, आतंकवाद, नक्सलवाद, जातिवाद, बेरोजगारी और असमानता जैसी गंभीर समस्यायों से जूझ रही है. इससे निपटने के लिए बेहतर रणनीति बनाने की जरूरत है.
आज के वैश्विक दौर में हम एक दुसरे से अलग नहीं हैं. इन समस्याओं का हल हमें सामूहिक रूप से खोजना होगा. हम अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकते. जाहिर है, कोई अकेला व्यक्ति या अकेला समाज यह जिम्मेदारी नहीं उठा सकता. हमें जिम्मेदारी बांटनी होगी. हमें सबसे पहले अपने अन्दर यह धारणा विकसित करना होगा कि बदलाव संभव है. सफलता के लिए हमें आशावादी होना जरूरी है. हमें मालूम होना चाहिए कि आनेवाला कल बहुत अच्छा है. हर अच्छे काम की शुरुआत एक उम्मीद से होती है. इसलिए हमें सपने जरूर देखने चाहिए. इस उम्मीद के साथ की भविष्य में कुछ बेहतर होगा.
लोकतंत्र, कानून का राज और मानवता की रक्षा ये अहम् वैश्विक मूल्य हैं, जिनकी रक्षा हर कीमत पर होनी चाहिए. लोकतंत्र की पहली शर्त है विश्वसनीयता. लोकतंत्र को तभी सफल माना जाएगा, जब सरकार जनता को “गुड गवर्नेंस” दे सके. यदि सरकार लोगों को अच्छा शासन नहीं दे पा रही है, तो ऐसे लोकतंत्र का क्या मतलब? आज विपक्ष को अपनी बात कहने तक का मौका नहीं मिलता. ताकत के बल पर उनकी आवाज दबा दी जाती है. ऐसे में, लोग लोकतंत्र में भरोसा खो देते हैं.
मानवीय मूल्यों की रक्षा के लिए बड़ी महत्वाकांक्षा और नए नजरिये वाले लोगों की आवश्यकता है. समाज को हमसे बड़ी उम्मीदें हैं. यदि नेता अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाएंगे, तो लोग उन्हें सत्ता से निकाल बाहर फेकेंगे. आखिर आप नेतृत्व के लिए आगे क्यों नहीं आना चाहते? जरा सोचिये, अगर आप नेता नहीं बनेंगे, तो समाज के लिए अच्छे कानून कौन बनाएगा? राजनीति, बिजनेस और सिविल सोसायटी में अच्छे नेताओं की जरूरत है. समाज आपकी ओर देख रहा है. इसलिए आप आगे बढिए और नेतृत्व कीजिये.

सरोज चौधरी
संस्थापक, अध्यक्ष
मिथिलांचल मुक्ति मोर्चा

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