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“हमारा तो है बस एक ही सपना- पूर्ण शिक्षित, पूर्ण विकसित एवं शक्तिशाली हो मातृभूमि अपना।”
“हम जाति-धर्म में नहीं बटेंगे- पीड़ित मानवता की सेवा करेंगे।”
भारत एक विशाल आबादी वाला देश है, परन्तु आबादी के बहुत बड़े हिस्से को आज भी स्वास्थ्य, शिक्षा, सड़क, बिजली और पानी जैसी बुनियादी सुविधाएँ भी केंद्र और राज्य की सरकार उपलब्ध नहीं करा पायी है।
हालत यह है कि देश के आम लोग एक तरफ स्वास्थ्य, शिक्षा, सड़क, बिजली और पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं के लिए संघर्ष कर रहे हैं तो दूसरी तरफ महंगाई, भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, गरीबी, अशिक्षा, पिछड़ापन, पलायन, बाढ़-सुखाड़, जातिवाद, सम्प्रदायवाद, असमानता, आतंकवाद, नक्सलवाद और बेहद खराब क़ानून व्यवस्था जैसी अनेक ज्वलंत समस्याओं से जूझने को विवश हैं।
आमजनों को इन्हीं बुनियादी एवं ज्वलंत समस्याओं से मुक्ति दिलाने के उद्देश्य से “मिथिलांचल मुक्ति मोर्चा” का गठन किया गया है। “मिथिलांचल मुक्ति मोर्चा” भारत निर्वाचन आयोग, नई दिल्ली के द्वारा पंजीकृत एक राजनैतिक दल है। आने वाले समय में “मिथिलांचल मुक्ति मोर्चा” सम्पूर्ण देश में न सिर्फ चुनाव लड़ेगा बल्कि आमजनों को एक बेहतर राजनैतिक विकल्प देने का प्रयास करेगा।
जगत जननी जानकी माता, भगवान् श्रीराम और श्रीकृष्ण की पावन धरती भारत का गौरवशाली इतिहास रहा है। इस पवित्र भूमि पर जन्म लेकर हमलोग अपने आप को गौरवान्वित और सम्मानित महसूस कर रहे हैं। परन्तु सरकारी उदासीनता के कारण जिन समस्याओं से हमारे पूर्वजों को जूझना पड़ा और हम सब जूझ रहे हैं, कम-से-कम उन समस्याओं से हमारे आने वाली पीढ़ियों को अर्थात हमारे बच्चों को नहीं जूझना पड़े, इसके लिए हमलोगों को एकजुट होकर प्रयास करना होगा।
भारत को इस बेहद ख़राब स्थिति से निकालने के लिए नई सोच और नए नजरिये वाले नेताओं की जरूरत है, जो भारत को न सिर्फ पूर्ण शिक्षित, पूर्ण विकसित और शक्तिशाली देश बना सके, बल्कि बेस्ट देश के साथ-साथ भारत को दुनिया का सर्वश्रेष्ठ देश भी बना सके।
जाहिर है, इसके लिए हमें संकीर्णता को त्याग कर उदारता को अपनाना होगा। हमें जाति और धर्म के दल-दल से बाहर निकलकर एक ऐसे नेता को तलाशना होगा जो न सिर्फ कर्मठ, योग्य और ईमानदार हो, बल्कि भारत को समृद्धशाली देश बनाने का सोच भी रखता हो।
वर्त्तमान में देश में कार्यरत जितने भी राजनैतिक दल हैं उनका सोच और नजरिया हमलोगों के सामने है। वे अपने सोच और नजरिये से जितना कर सकते थे, कर चुके हैं। ये तमाम दल अपने वही पुराने सोच और नजरिये के इर्द-गिर्द घूम रहे हैं और सदा घूमते रहेंगे। जिसमे जाति, धर्म, अगड़ा, पिछड़ा, दलित, महादलित, आरोप-प्रत्यारोप, झूठे वादे और शब्दवाण के अलावा हम किसी बेहतर हालात की उम्मीद नहीं कर सकते।
यदि हमें आपका सहयोग, समर्थन और आशीर्वाद मिला, तो हम इस दिशा में ठोस, निर्णायक और ईमानदार प्रयास जरूर करेंगे।
“आइये, मिलकर अभियान चलायें – भारत को पूर्ण शिक्षित, पूर्ण विकसित एवं शक्तिशाली राष्ट्र बनायें।”
“हमने यह ठाना है – आमजनों को बुनियादी एवं ज्वलंत समस्याओं से मुक्ति दिलाना है।”
शब्दों को विराम – आपश्री को सादर जय सियाराम।
जय हिन्द। बहुत-बहुत धन्यवाद।
सरोज चौधरी
राष्ट्रीय अध्यक्ष
मिथिलांचल मुक्ति मोर्चा
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